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Jan 21, 2015

"स्वामि डोसा"

दिल्ली  की भारी ठण्ड के चलते यह तय किया गया कि रात के खाने की आउटसोर्सिंग "स्वामि डोसा" से  की जाये। वो पचास रुपये में एक मसाला डोसा दे कर मेरी मध्यम वर्गीय जेब को हमेशा कृतार्थ करता है हालांकि मेरी महाकमीनी मध्यम वर्गीय सोच पचास रुपये में डोसे के साथ एक्स्ट्रा सांबर (ड्रमस्टिक वाला),लाल टमाटर की चटनी और खाने के लिए टेबल न होने पर हमेशा उसे लानतें  छोड़ती है पर ये भी सच है की सोच पर हमेशा जेब भारी पड़ जाती है और स्वामी डोसा की दुकानदारी सदाबहार चलती है।

उस दिन हमारे साथ साथ एक साऊथ  इंडियन अंकल जी भी पधारे जो अपनी पत्नी को एनिवर्सरी पार्टी के लिए लाये थे। आंटी गज़रे में जच रही थीं पर भारी ठण्ड से बचाव हेतु अंकल जी ने लुंगी के साथ कुछ कॉकटेल जैसा ड्रेस पहना था। सफ़ेद लुंगी के अंदर से काला गरम पैजामा बाहर झाँक रहा था और उसके नीचे स्लेटी गरम ऊनी मोज़े पैरो की शोभा बढ़ा रहे थे। प्लास्टिक की लैदर जैसा लुक देने वाली चप्पलें जिनमें मोज़े वाले  पैर लगातार ऐसे फिसल रहे थे कोई चेन से बधा कुत्ता शाम की सैर पर निकला हो, जो आजाद तो नहीं हो सकता पर लगातार दायें बायें भागता रहता है। लुंगी के ऊपर अमेरिका के झंडे वाला स्वेटर जो शायद उनका NRI बेटा छोड़ गया था और सर पे लाल बन्दरटोप (monkeycap) विराजमान था (नहीं उस पर अमेरिका का कोई निशान नहीं था ) और उस के बाहर मोटे फ्रेम का नज़र  का चश्मा। कुल मिला के इन कपड़ो में अंकल जी हड़प्पा मोहनजोदड़ो की सभ्यता का जीवंत प्रमाण लग रहे थे. मुझे समझ नहीं आया कि रोज़ इडली डोसा पकाने खाने के बाद भी ये पार्टी करने स्वामी डोसा क्यों  पधारे हैं। ख़ैर.…

डोसा कितने का ? वो रेट कार्ड को देखने के बाद भी शायद कुछ बार्गेनिंग के मूड में थे।  उसने बोर्ड की तरफ इशारा कर दिया। एक डोसा, सांबर चटनी एक्स्ट्रा डालने का ।  छोटू, सर का  डोसा ..... जल्दी। डोसा बनाते हुए अंकल जी छोटू को बोले - इतने गोल (घोल) में दो छोटी डोसा बनाओ और मसाला  भी  दो जगह डिवाइड करो. हम दो लोग है ना …  छोटू  ने  अपनी भैंगी आँखों से सर से पैरों तक उन्हें घूरा पर कपड़ों के अलावा उसे कुछ नज़र नहीं आया - वो  स्वामि की तरफ देख के चिंघाड़ा और हाथ हिला हिला के बोला - "येन्ना इन्ना वड़कम । एन्नार मलुका वड़कम " और मसाले का कटोरा वही फ़ेंक के एक ओर खड़ा हो गया।  स्वामी जो बाकि कस्टमरों की  भीड़ से घिरा नोट बटोरने में महाव्यस्त था, झुंझलाता हुआ आया और उससे पूछा की क्या हुआ।

अंकल जी ने वही बात स्वामि को कही जो उनके हिसाब से  पूरी तरह रीजनेबल थी ख़ास तौर पे तब, जब की वो कि वो दो दोसे का पूरा पचास रूपया देने को तैयार थे। स्वामी ने तमिल में कुछ कहा जो मैं दुर्भाग्यवश समझ न पायी और अब अंकल जी ने मुह के ऊपर से बन्दरटोप हटा लिया और  भाप के इंजन की तरह मुँह से धुंआ छोड़ते हुए अंग्रेजी में पचास के एक डोसे से पच्चीस पच्चीस के दो छोटे डोसे बनाने के इक्वेशन को एक्सप्लेन करने लगे। इस महागरिमामय वार्तालाप के बीच कस्टमरों की लाइन दुगनी हो गयी और कलेक्शन का काम ठप्प हो गया।  स्वामि कमर में हाथ रख के उनको कुछ समझा रहा था और वो लुंगी को आधा उठा के ऊपर कमर में खोंस चुके थे जो अब नी लेंथ स्कर्ट जैसा लुक दे रही थी हालाँकि गरम पैजामा उनकी शोभा बदस्तूर बढ़ा रहा था। इस व्यवधान से डोसे इडली की डेलिवरी बुरी तरह प्रभावित हुई और कुछ लोग जो अब तक धैर्य से खड़े थे अपनी अपनी गाड़ियों की तरफ जाने लगे. अंकल जी स्वामि  को तवे में चम्मच से छोटे छोटे दो डोसों का साइज समझा रहे थे।  छोटू एक तरफ खड़ा नाक में अंगुली डाले इस महामनोरंजक वार्तालाप का आनंद ले रहा था। स्वामी ने जोर जोर से "ना " में अपनी गर्दन हिलायी।  अंकल जी  ने पूरी उदारदिली दिखाते हुऐ कहा कि वो एक्स्ट्रा सांबर और चटनी के पांच रुपये और दे देंगे जिसे स्वामी ने सिरे से नकार दिया. इसी बीच एक अप्रेंटिस जो शायद बर्तन मांजने  के लिए लाया गया था बढ़ती  भीड़ और जाते हुऐ कस्टमरों के बीच अपनी डिजास्टर मैनजमेंट स्किल्स दिखाने के चक्कर में दूसरे तवे पर तीन डोसे फैलाने लगा और मसाला निकालने तक जले हुए डोसो की महक यज्ञ कुण्ड के धुऐं की तरह फैल गयी।  खड़े हुए लोग अब खांसने लगे थे। स्वामी का गुस्सा अब उफान पर था उसने वही से चिंघाड़ते  हुए करछी उठा के  इस डिजास्टर मैनजमेंट एक्सपर्ट के सर पे मारी  जो भगवान की कृपा से उसने कैच कर ली और स्वामि को तमिल में गाली देता हुआ एक तरफ भाग गया।  उसने जाते जाते स्वामी को देख के थूका भी जो शायद उसका काम से रेसिग्नेशन था।  छोटू ने ख़ुशी के मारे एक तीखी मुस्कान के साथ आँख मारी। अब अंकल जी भूख की वजह से और स्वामि अपने  नुकसान के कारण पूरे ताव में आ गए थे । अंकल जी जोर जोर से  तमिल में चिल्ला रहे थे मैं केवल रास्कला, ह्यूमन राइट्स और कंन्ज्यूमर कोर्ट ही समझ पायी। इस बीच आंटी जी जो उनके साथ बहुत देर से खड़ी थी उनको चक्कर आ गया  और वो बेहोश हो के गिर पड़ी।  अब तो स्वामि  का भगवान ही मालिक था।  स्वामि  ने आंटी को उठाया और लकड़ी  की बेंच पे लिटा दिया. अचानक पुलिस वैन की सीटियाँ बजने लगीं जो रात की पेट्रोलिंग पर थी।  स्वामि का चेहरा पहले काले से नीला और फिर धीरे धीरे कुछ  बैंगनी जैसे रंग का  हो गया।  

अंकल जी ने तुरंत छोटू को कुछ सूखी लाल मिर्चें तलने का आदेश दिया और भुनी हुई मिर्च आंटी जी को टोटके के तौर पे सुंघाई गयी।  मिर्च सुंघाते ही आंटी जी अपनी परम चैतन्यमयी अवस्था से बाहर निकल आई और अंकल जी ने गर्व मिश्रित भाव से चारो तरफ खड़ी जनता को देखते हुए कहा - दिस इस कॉल्ड अन्सिएंट नॉलेज। अबी डाक्टर पांच सौ रूपया ले लेता, चार टेस्ट करता और हफ्ते का दवाई बोल देता।  सब लूटने कोई बैठे इदर।  भीड़ देख के पुलिस ने गाड़ी रोक लिया … स्वामि हाथ जोड़ के अंकल से बोला "येन्ना इन्ना वड़कम । एन्नार मलुका एड़कम " मैंने मन ही मन इसका ट्रांसलेशन किया ( मुझे बचा लो अन्ना।  मेरे धंदे  पे लात न मारो।  चाहो तो मैं तुम्हें जिंदगी भर फ्री में दोसे खिलाऊंगा। तुम दूकान पे भी मत आना मैं फ्री होम डेलिवरी करूंगा। तुम कहोगे तो मैं एक दोसे के मसाले में चार डोसे बनाऊंगा।  ना  ना  बिलकुल नहीं। .पांच रुपये एक्स्ट्रा बिलकुल नहीं चाहिये।  दोसे के साथ मैं आंटी के लिए फ्री गिफ्ट में गज़रे भी दूंगा ) स्वामी बस अब रोने को ही था।

अंकल जी ने विजय भाव से उसे देखा और पुलिस वैन की तरफ मुड़कर बोले - अरे सर, सब ठीक है इदर। बुड्डा लोग है अबी हम।  ठण्ड बी तो कितना पडती है इदर , वाइफ का थोड़ा चक्खर आ गयी. पर ये है ना अपना स्वामी डोसा। … जेंटलमैन आदमी सर।  मानता  ही नई. बोलता है,आंटी को घर पे छोड़ेगा और डोसा भी घर पे दे के जाएगा। आफ्टरऑल अपना साउथ का आदमी। … वेरी होनेस्ट। .... आप आइए सर कभी इसका डोसा खाने।  वेरी टेस्टी विथ एक्स्ट्रा सांबर एंड चटनी। … स्वामी अपना सर खुजला रहा था पर उसके चेहरे का रंग वापस बैंगनी से काला हो गया था।  यद्यपि  छोटू ने अपनी नाक से अंगुली निकाल ली थी पर हमने डोसा नहीं खाया।  मेरे हिसाब से तो ये हैप्पी एंडिंग थी।आप का क्या ख्याल है ?

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