तुम केवल वर्ष नहीं थे .
तुम केवल वर्ष नहीं थे तुम थे कितने ही अनगिन पल.
कुछ खट्टे कुछ मीठे ,कुछ तन्हा कुछ साथ साथ .
तुम सिखा गए कुछ नयी सीख कुछ नयी बात,
कुछ नए राज तुम खोल गए.
तुम से जो सीखा है मैंने वो अनुभव के सच्चे मोती हैं,
तुम तो बस केवल तुम हो, ना नए और ना पुराने,
कितने ही चले गए और अभी कितने हैं आने.
वही रूप, वही रंग, वही बात, वही ढंग,
वही रफ़्तार बार बार बार बार, फिर भी हर दिन एक नया कल.
तुम केवल वर्ष नहीं थे तुम थे कितने ही अनगिन पल.
--> (Contents of this blog / published on any of it’s pages is copyrighted and the sole property of the author of this blog and copying, disclosure, modification, distribution and / or publication of the content published on this blog without the prior written consent of the author is strictly prohibited.)तुम केवल वर्ष नहीं थे तुम थे कितने ही अनगिन पल.
कुछ खट्टे कुछ मीठे ,कुछ तन्हा कुछ साथ साथ .
तुम सिखा गए कुछ नयी सीख कुछ नयी बात,
कुछ नए राज तुम खोल गए.
तुम से जो सीखा है मैंने वो अनुभव के सच्चे मोती हैं,
जीवन की नूतन राहों मैं वो दिशा दिखाते जाएँगे.
इस वर्ष के सारे निर्णय तुम को ही प्रतिबिंबित करते हैं,
नयी मंजिलें पाने के मेरे प्रयास जहा अंकित हैं.तुम तो बस केवल तुम हो, ना नए और ना पुराने,
कितने ही चले गए और अभी कितने हैं आने.
वही रूप, वही रंग, वही बात, वही ढंग,
वही रफ़्तार बार बार बार बार, फिर भी हर दिन एक नया कल.
तुम केवल वर्ष नहीं थे तुम थे कितने ही अनगिन पल.
Wow Kavita, that was a good one. Though I have to admit, had to read a couple of times just to familiarize with Hindi and then understand :)
ReplyDeleteSome very nice thoughts ya...keep them coming!
Thanks TOM.
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