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Jan 1, 2012

और वो चला गया चुपके से ... ( A "Fini" of 2011)

और वो चला गया चुपके से ... (An attempt to capture the feelings of the dying year 2011)

ना कुछ कहा , ना कुछ सुना, ना ही कोई कवायद की,
ना कोई गिला, ना कोई शिकवा, ना ही कोई शिकायत की
और बस चला गया चुपके से....







उसने देखा सब मस्त हैं, रौशनी में और नए रंग में .
नए अरमान हैं  नए ख्वाब हैं पूरे करने को, 
सब कुछ नया नया सा करने  की जैसे जंग में .

इस सब के बीच वो  जैसे गुम सा  हो गया ,
कुछ ऐसे थम गया जैसे हो के भी ना हो
शांत  !! बिलकुल शांत.
वो रोया  पर ऐसे की सिसकियाँ भी ना सुनाई दें.
आंखें रोते रोते सूख गयीं और गला रुंध गया,
पर कोई ना जान पाया की वो जैसे चुप सा हो गया .

उसकी  उदास आंखें मुझसे छिपी ना रहीं
और जब  मैंने पूछा कि क्यों इतनी उदासी?
क्या इसलिए की अब तुम्हें जाना है ?
वो एक फीकी हंसी हंसा और कहा ये सवाल ही  है बेमानी.

वो  मुडा , उदास आँखों से मेरी तरफ देखा और कहा,
क्या यही सवाल तुमने तब पूछा था जब मुझे आना था?   नहीं ना ?

तुम कभी समझ ही नहीं सकी ना तो किसी के आने कि ख़ुशी और ना ही किसी के जाने का गम.

जब मुझे जीवन मिला क्या किसी ने पूछा मुझे कैसा लगा ? क्या मैं खुश हूँ ?
नहीं ना ?..
आज जब मैं धीमी मौत मर रहा हूँ , किसी को मेरा ख्याल तक नहीं.
मैं कहाँ  हूँ ? कैसा हूँ ?
जब मैं आया - तुम खुश थी  पर सिर्फ अपने लिए
और आज जब मैं जाने वाला हूँ ,हमेशा के लिए  - फिर एक बार तुम व्यस्त हो, मस्त हो पर "अपने लिए"

शायद...मैंने ही उम्मीदों के दिये जलाये और .. देखो ना !! आज इसीलिए उदास हूँ 
तुम तो हमशा से ऐसी ही थी मतलबी, स्वार्थी, "बस अपने लिए" और अपने में मस्त 

शायद ...

मेरी यही नियति है और हर उस आने वाले वर्ष की जो आज हैं और कल नहीं होगा
पर मेरा जैसा कोई ना कोई तो हमेशा होगा,  इसी तरह हँसता और फिर रोता हुआ.
.....
...
..
एक बूँद ढलक आई उदास गालों पर और वो चला गया चुपके से ...

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2 comments:

  1. Although, its making me little sad.. But I must say "Varsh ki vyathaa" has been described so very fantabulously...! I mean ever line has a Crux..! :)
    Keep cooking..! :)

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  2. Thanks a lot Ankush... loved your comment.

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